Wednesday 15 August 2012


सी आर सी समन्वयक - शिक्षक के हमसफ़र

एक ज़माना था जब ये माना जाता था कि शिक्षक तभी काम करेंगे जब उनके ऊपर कोई डंडा लेकर सवार हो. दुर्भाग्य से आज भी कई लोगों को यही लगता है. और इसलिए वे बार-बार मोनिटरिंग कि मांग करते रहते हैं. जिन्हें मौका मिलता है, वे खुद भी इंस्पेक्टर बनने कि कोशिश करते रहते हैं. 


लेकिन शिक्षक को इंस्पेक्टर की नहीं, बल्कि एक ऐसे साथी कि ज़रुरत है जो उसकी शैक्षिक कठिनाइयों के बारे में उसके साथ बात कर सके, और मिल कर हल तक पहुँचने में मदद कर सके. इसलिए, सी आर सी समन्वयक की स्कूल विज़िट के बड़ा महत्व है. स्कूल पहुँचने पर अपनी खातिर करवाने में मत फँस जाइए ! (हालाँकि में खुद भी कई बार बच नहीं पाता हूँ) 


जिस कक्षा पर आपका फोकस है, पहले तो उसके बारे में यह जानिये कि शिक्षक ने क्या पढ़ाने की योजना बनाई थी, और उसमे से कितना काम पूरा हो चुका है. फिर पता कीजिये कि क्या वह जान पाया है कि बच्चे कहाँ तक समझ पाए हैं? अगर नहीं, तो उसके साथ मिल कर पता करने का काम कीजिये. 


जो बच्चे पीछे पड़ रहे हैं, उनके लिए क्या सोचा गया है? शिक्षक खुद कहाँ-कहाँ अटक रहा है? परेशानी विषय-वस्तु में है या पढ़ाने के तरीके में? आपको क्या करने कि ज़रुरत है? 


एक सुझाव यह है कि कृपया झट अपने आप कक्षा पढ़ा कर दिखाने का काम न करें - शिक्षक को लग सकता है कि आप तो कर लेते हैं लेकिन वह खुद नहीं कर पा रहा है. कुछ-कुछ राम-रावण सी स्तिथि पैदा होने के खतरा है. बेहतर होगा कि हम उसे सुझाव देते रहे, अपनी आखों के सामने उसे सफल बनायें, और जाते-जाते बोलें कि 'मैं जानता था कि आप अच्छे से कर लेंगे!'




अगली बार - स्कूल विज़िट का रिकॉर्ड कैसे रखें? और क्या-क्या और करने कि ज़रुरत है स्कूल विज़िट के दौरान?

No comments:

Post a Comment